गृहकार्य

 

  सभी विद्यार्थी यह शिकायत करते हैं कि उनके अध्यापक केवल अपनी ही कक्षा की सोचते हैं और उसके देना चाहते हैं हर एक यही सोचता है कि वह बहुत थोड़ा दे रहा है और वह यह नहीं समझता कि थोडी- थोड़ा ही स्तुत हुए जात है !

 

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मै यह नहीं कह सकती कि उनकी बात गलत हैं ।

 

  वे सभी अध्यापक जो विधार्थियों के एक दल को पढ़ाते हों, आपस में एकमत होकर कार्य दें ताकि विधार्थियों पर काम का भार अधिक न हो जाये और वे आराम तथा विश्रांति पा सकें जो अनिवार्य है ।

 

  मैं कोई उपयोगी सलाह दे सकूं इससे पहले यह सम्मिलित तैयारी जरूरी हैं । रही बात विषयों की, तो ऐसे विषय चुनना अनिवार्य बे जो उनकी निजी अनुभूतियों से मेल खाते हों और इस तरह आत्मावलोकन, निरीक्षण और व्यक्तिगत प्रभावों के विश्लेषण को प्रोत्साहित करें ।

 

(दिसंबर १९५९)

 

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(एक गणित के अध्यापक ने पूछा कि उसे गृहकार्य-संबंधी ईसा तात्कालिक नीति का कठोरता ले पालन करना चाहिये या नहीं कि दस वर्ष ले कम के बच्चों को कोई गृहकार्य न दिया जाये उसके कुछ विधार्थियों ने धर पर करने के लिये कुछ सवाल मांगो हैं माताजी ने लिखा:)

 

यह गृहकार्य का मामला बड़ा कंटीला है । जो गृहकार्य करना चाहते हैं इसके बारे मे सीधा मुझे लिखें ।

 

(१९६०)

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   अपनी गणित की कक्षा मे हम कुछ चाहते हैं!

 

 काश, तुम जरा ज्यादा शुद्ध फ्रेंच लिख पाते!

 

  अगर तुम सचमुच चाहते हों तो कुछ गृहकार्य कर सकते हो-लेकिन ज्यादा अच्छा यह है कि सावधानी और एकाग्रता के बिना बहुत अधिक करने की अपेक्षा, जो करते हो ज्यादा अच्छी तरह करो ।

 

  अगर तुम कुछ मी करना चाहते हो तो अपने-आपको अनुशासित करना और एकाग्र होना सीखो ।

 

(२८-६ -१९६०)

 

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  मै इससे सहमत नहीं हूं कि बच्चों को धर पर काम करना चाहिये । उन्हें धर पर जो इच्छा हो वह करने के लिये स्वतंत्र होना चाहिये ।

 

समस्या का हल शांति कक्ष' मे पाया जा सकता हैं ।

 

(१४-९-१९६७)

 

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  यह निश्चय बच्चों और उनके मां-बाप से इस प्रकार की बहुत-सी शिकायतें पाने के बाद किया गया हैं कि गृहकार्य के कारण बच्चे बहुत देर मे सोते हैं और काफी न सो पाने के कारण बच्चे थके-थके रहते हैं ।

 

  मै जानती हूं कि इन सब शिकायतों में अतिशयोक्ति हैं, लेकिन है इस बात की सूचक भी हैं कि इस रूढ़ि में कुछ प्रगति करना जरूरी हैं ।

 

  इस योजना को समस्त ब्योरों में लोच और नमनीयता के साथ हल करने की जरूरत हैं ।

 

  मैं सभी बच्चों को एक ही तरह हांकने के पक्ष मे नहीं हूं; इससे एक तरह का एकरूप स्तर बन जाता बे जो पिछले हुए विद्यार्थियों के लिये तो लाभदायक होता हैं  पर उनक लिये हानिकर होता हैं जो सामान्य ऊंचाई से ऊपर उठ सकते हैं ।

 

  जो सीखना और काम करना चाहते हैं उन्हें प्रोत्साहन देना चाहिये । लेकिन जो पढ़ना-लिखना नहीं चाहते उनकी शक्ति किसी और दिशा में मोहनी चाहिये ।

 

  चीजों को व्यवस्थित और संगठित करना है । काम के ब्योरे बाद में शिक्षित किये जायेंगे ।

 

आशीर्वाद ।

 

(२६-९-१९६७)

 

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